Thursday, 21 February 2008

कुछ अपने बारे में

लो, मैं हाजिर हूँ। बहुत दिन से कोशिश कर रहा था आपके बीच आने की। यह तकनीकि ज्ञान की कमी थी जिसने अब तक मुझे रोके रखा। कोशिश रंग लाई और में बनने में सफल रहा। कुकुरमुत्ता की तरह मैं आपके बीच उग आया हूँ। न न न... साधारण चीज नही है कुकुरमुत्ता, जीवन की शक्ति है, पत्थर का सीना फाड़ने की ताकत है कुकुरमुत्ता। निराला का प्रिय विषय है कुकुरमुत्ता। मैं ऐसा कोई दावा नही करता। मेरी पत्रकारिता की यात्रा में मेरे ऊपर दो यशवंत का असर है। पहले यशवंत व्यास और दूसरे यशवंत सिंह । व्यास जी मुझे जयपुर में मिले, तब मैं दैनिक भास्कर में था और व्यास जी दैनिक नवज्योति के संपादक थे। यशवंत सिंह मेरे लिए एक मायने में द्रोणाचार्य है। उन्ही की हस्तलिपि से मैं पेज मेकिंग सीख सका। शायद ये बात यशवंत सिंह को भी नही मालूम । मैं जब अमर उजाला कानपुर पहुँचा वे जा चुके थे। मिला उनका लिखा एक कागज । कैसे सीखें पेज बनाना । यहाँ बस इतना ही बाकी फ़िर कभी।