Tuesday 11 March, 2008

वो दिन था




वो दिन था , वो समय था ,
हम थे और तुम थे ,
और था एक अजीब सा अहसास ,
और आज वो समय बीत चुका है ,
अब न हम है , और न तुम हो
और न ही है वो अहसास,
सोचता हूँ तो खोजाता हूँ उस समय मैं,
क्या वो समय फिर लौट कर वापस आयेगा ,
जिस समय को हम पल -पल जिया करते थे ,
बस अब एक ही तमन्ना है . की कास वो समय आए .
और उस समय मी हम और तुम फिर समाये .
इसे मजाक न समझना ये दिल की आवाज है
आपका प्रवीण